5 Essential Elements For bhoot ki kahani
5 Essential Elements For bhoot ki kahani
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Bhoot ki kahani
उस दिन से गौरब को भुत और आत्माओं से डर लगना बंद हो जाता है।
और सारी बातें उन मम्मी – पापा को बता दी। मेरे पापा मानने को तैयार नहीं थे। कि मैं सच बोल रहा हूं।
उस स्टेशन पर ज्यादा पैसेंजर भी वेट नहीं करते थे। शहर की आबादी भी कम थी। रमेश इस बात से काफी नाराज था कि उसका ट्रांसफर ऐसी वीरान जगह पर कर दिया गया। एक रात रमेश खुद से ही बड़बड़ाता हुआ चला जा रहा था। क्या मुसीबत है?
रमेश ने प्रसाद को अपने साथ घट रही सारी अजीब घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया। प्रसाद तुरंत ही समझ गया। उसने कहा, इस इलाके में कई छलावे रहते हैं। वो सब रूप और शरीर बदल बदलकर आपसे बात करना चाहते हैं। उसके बाद आपको नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं। रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है।
थोड़ी देर बाद आवाज फिर से आने लगी तो मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
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रमेश ने उस आदमी को बुलाने की कोशिश की तो वह भागने लगा। रमेश भी उसके पीछे भागने लगा और वह आदमी अचानक से पटरी की तरफ भागने लगा और गायब हो गया। रमेश अपना बैलेंस नहीं बना पाया और पृथ्वी पर गिर गया। उसने ट्रेन की आवाज सुनी और घबरा गया।
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जब गौरब घर के पास पहुँचा, तब उसे बहुत ठंड लग रही थी। घर बिखरा हुआ था, जिसमें टूटे हुए खिड़कियाँ थीं और एक दरवाजा था, जो खोलने पर जोर से आवाज करता था। गौरब सबधाणी से दरवाजा खोला और घर में दाखिल हुआ।
उसने वह शॉल उठाया और सुबह घर लौट गया। वह इस हादसे को एक बुरे सपने की तरह भूल गया था। इतनी सुनसान जगह और इतनी गहरी रात। बुरा सपना ही होगा। रमेश तो इस वीराने में अपना मानसिक संतुलन खो दे। उसने सोचा कि उसे नींद आ रही थी और उसने नींद में सपना देखा। अगली रात वह फिर से ड्यूटी दे रहा था।
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और बोला कि यहां पर जो आवाज आप लोगो ने सुनी थी। वह भूल जाना वरना आप लोग पूरी जिंदगी रोते रहोगे। इतने में ड्राइवर भी आ गया और हम लोग दौड़कर बस में बैठ गए ।
अंत में वे गुफा के द्वार पर पहुँचे। गुफा बहुत बड़ा था और जंगल से ढका हुआ था। धड़कते दिल के साथ, राम और सोनू ने अंदर कदम रखा। गुफा नम थी और अंदर अँधेरा था। वे दोनों टोर्च जलाकर अंदर जाने लगे।